बिल्ली जब ढूध पीती है तो सोचती है कि उसे कोई नहीं देख रहा, लेकिन बिल्ली के खुद आँख बंद कर लेने से सच्चाई नहीं बदल जाती। हक़ीकत कुछ और ही होती है । ठीक उसी तरह जब हम आपस में एक दूसरे को धोखा देते हैं तो समझते हैं कि अगले को कुछ पता नहीं चलेगा। लेकिन सच कभी छुपाये छुपा है भला....? देर सवेर ही सही, सच किसी न किसी तरह लोगों के सामने आ ही जाता है। अब बुद्धू बक्से की बात करें और उसके रिअलिटी शोज़ की बात करें तो कुछ बिल्ली और उसकी सोच का अलग ही बोध होता है ।
बुद्धू बक्से ने लोगों को घर घुसरा बनाने के बाद एक नया तरीका निकाला है, लोगों को अपने चंगुल में फंसाने का। यू टीवी बिंदास पर आने वाले प्रोग्राम "इमोशनल अत्याचार" के पहले से लेकर अब तक के लगभग सभी एपिसोड मैंने देखे हैं । इसमें लोगों के प्यार में लायल होने का पता लगाया जाता है। प्यार में सही और गलत होने का यह अच्छा तरीका निकाला है इस चैनल वालो ने, जिसमें अब तक केवल एक केस में पोजिटिव रेस्पोंस आया, बाकी में नेगेटिव। इसका मतलब केवल यही पता लगा सकते हैं कि कौन इंसान कितना सही है और कितना गलत.....| वो भी अपने एक अलग ही तरीके से जिसमें यह परोसते हैं तो केवल अश्लीलता। इससे कुछ हो या ना हो, लेकिन लोगों के सिर पर प्यार का बुखार चढ़ता है, तो कभी उतरता है और उतर कर फिर चढ़ जाता है...| इस शो के चलते लोगों का ज़िन्दगी के प्रति एक और नजरिया बन गया है कि.... आये तो बेस्ट नहीं तो नेक्स्ट। घर घुसरा बनाने के बाद अब अपने देखाए रास्तों पर चलाने की साजिश कर रहा है ये बुद्धू बक्सा।
बुद्धू बक्से ने लोगों को घर घुसरा बनाने के बाद एक नया तरीका निकाला है, लोगों को अपने चंगुल में फंसाने का। यू टीवी बिंदास पर आने वाले प्रोग्राम "इमोशनल अत्याचार" के पहले से लेकर अब तक के लगभग सभी एपिसोड मैंने देखे हैं । इसमें लोगों के प्यार में लायल होने का पता लगाया जाता है। प्यार में सही और गलत होने का यह अच्छा तरीका निकाला है इस चैनल वालो ने, जिसमें अब तक केवल एक केस में पोजिटिव रेस्पोंस आया, बाकी में नेगेटिव। इसका मतलब केवल यही पता लगा सकते हैं कि कौन इंसान कितना सही है और कितना गलत.....| वो भी अपने एक अलग ही तरीके से जिसमें यह परोसते हैं तो केवल अश्लीलता। इससे कुछ हो या ना हो, लेकिन लोगों के सिर पर प्यार का बुखार चढ़ता है, तो कभी उतरता है और उतर कर फिर चढ़ जाता है...| इस शो के चलते लोगों का ज़िन्दगी के प्रति एक और नजरिया बन गया है कि.... आये तो बेस्ट नहीं तो नेक्स्ट। घर घुसरा बनाने के बाद अब अपने देखाए रास्तों पर चलाने की साजिश कर रहा है ये बुद्धू बक्सा।
March 22, 2010 at 11:51 PM
Sangeeta
Programme like emotional atyachaar are fixed.and there is nothing called reality shows in india. Virtual reality is the exact word for programme like emotional atyachaar. Moreover the audience of Ghar Ghusra is still large in number comprises of house wives etc whereas the audience of programme like emo.atya. are basically teenagers and urban youth.